धन्य त्या शिवबाची
ज्याने प्राण देशासाठी वाहिला,
आम्ही मात्र जितेपणी
देश गुलाम होताना पाहीला.
----------------------------------------
इथल्या चिरेबंदी दगडांनी
इतिहासाची जुळणी केली,
भूखंड खाऊन पुढा-यांनी
इतिहासाची गुळणी केली.
----------------------------------------
जनतेचाच पैसा खाऊन
वर "कोण म्हणतो येणार नाय "
लोकशाहीच कवच पांघरून
कासव घेतो पोटात पाय.
----------------------------------------
ज्याने प्राण देशासाठी वाहिला,
आम्ही मात्र जितेपणी
देश गुलाम होताना पाहीला.
----------------------------------------
इथल्या चिरेबंदी दगडांनी
इतिहासाची जुळणी केली,
भूखंड खाऊन पुढा-यांनी
इतिहासाची गुळणी केली.
----------------------------------------
जनतेचाच पैसा खाऊन
वर "कोण म्हणतो येणार नाय "
लोकशाहीच कवच पांघरून
कासव घेतो पोटात पाय.
----------------------------------------
कवी -- संजय माने ,श्रीवर्धन
No comments:
Post a Comment