देश धरमपर मिटनेवाला शेर शिवाका छावा था ... ।
महा पराक्रमी परम प्रतापी एक हि शंभू राजा था ... ।
तेजः पुंज तेजस्वी आँखे निकल गयी पर झुका नही ... ।
दृष्टी गयी पर राष्ट्रोन्नती का दिव्य स्वप्न तो मिटा नही ... ।
दोनो पैर कटे शंभू के ध्येय मार्ग से हटा नही ... ।
हाथ कटे तो क्या हुआ ? सत्कर्म तो छुटा नही ...।
जिव्हा कटी खुन बहाया धर्म से सौदा किया नही ... ।
गर्व से हिन्दू कहने मे कभी किसीसे डरा नही ... ।
राम कृष्ण शालीवाहन के पथ से विचलीत हुवा नही ... ।
शिवाजी काही बेटा था गलत राह पर चला नही ... ।
वर्ष तीनसौ बीत गये शंभू के बलिदान को ... ।
कौन जिता कौन हारा ? पुछ लो संसार को ... ।
कोटी कोटी कंठो मे तेरा आज गौरव गान है ... ।
अमर शंभू तू अमर हो गया तेरी जयजयकार है ... ।
भारत माँ के चरण कमल पर जीवन पुष्प चढाया था ... !
है दूजा दुनिया मे कोई जैसा शंभू राजा था ?
No comments:
Post a Comment